किसी भी इन्डस्ट्री को शुरू करने से पहले, पानी, बिजली, सड़क जमीन से लेकर कच्चे मॉल और लेबर जैसी प्राथमिक जरूरतों पर विचार किया जाता है, इसकी सुलभ और निरंतर प्राप्तता और किंमत, इन्डस्ट्री शुरू करने के लिए, उसे अच्छी तरह से चलाने के लिए बहुत जरूरी है। इनमें से कई सारी जरूरते तो (जैसे की बिजली, पानी, जमीन, सड़क आदि) हम प्राप्त कर लेते है लेकिन जैसे जैसे समय बितता है हमें कच्चे माल की कमी और उसकी लगातार बढ़ती किंमते परेशान करने लगती है। कुछ समय के लिए यह समस्या हो तो ठीक है लेकिन निरंतरता उद्योग की विकासयात्रा में बड़ा गतिरोध पैदा करती है और कुछ हद तक यह उद्योग नुकशानकारक साबित होने लगते है। माल की कमी के कड़ी प्रतिस्पर्धा, आकस्मिक संजोग और व्यापारी समूह की अनुचित व्यापारी नीति जवाबदेह होती है। जब परिस्थिति निःसंदेह हद से गुजर जाती है तो उत्पादकर्ता की चिंताएँ बढ़ जाती है और ऐसे हालात से निपटने के लिए उत्पादको तथा सरकार के संलग्न विभाग के अधिकारिओं के साथ बैठकर ठोस कदम उठाने के भरपूर प्रयास करने चाहिए, खासकर उत्पादको को।
कोरोना के कुछ समय पहले और कोरोना के बाद – करीब तीन साल से कच्चे माल (जैसे की केमिकल्स, पेपर, बगास, पोपलर, सफेदा या वुडवेस्ट) की कमी और वुड इंडस्ट्री से जुड़े अन्य उद्योगों को बहुत परेशान किया, ज्यादातर कंपनियों के प्रोफिट मार्जिन पर बहुत बुरा असर पड़ा है, करीब 25 प्रतिशत प्लाइ-पैनल बनानेवाली कंपनिया चलाये रखने में आ रही है, अगर हालात ऐसे ही रहे तो यह बंद भी पड शकती है क्योंकि आनेवाले समय में कच्चे माल की आपूर्ति में कठिनाई ओर बढ़नेवाली है। उत्पाद खर्च में भारी वृद्धि के बाद भी उत्पाद अपनी प्रोडक्ट्स की किंमतो में जरूरी बढ़ावा नहीं कर पा रहे है, जिसका एक मुख्य कारन कड़ी प्रर्तिस्पर्धा या मांग की कमी है।
भारत में प्लाइ-पैनल का घरेलू बाजार तो बड़ा है लेकिन निरंतर बढ़ते नये युनिट और कई कारनो से डिमान्ड में कमी से रास्ता निकालने के लिए उत्पादको नये रास्ते खोजने होंगे। क्वॉलिटी प्रभावित किये बिना या उसमें सुधार लाने के साथ उत्पाद किंमतो में कमी लानी होगी। कच्चे माल के विकल्प ढूंढने होंगे। प्लाइ-पैनल इंडस्ट्री में अब तक जिन राज्यों का शिर्षस्थान रहा था उनके लिए प्रतिस्पर्धा और मजबूत होती जा रही है क्योंकि अन्य राज्यों में बढ़ती युनिटो के साथ नेपाल, केरला के प्लाइ-पैनल प्रोडक्ट्स देश के बाजार में अपना हिस्सा जल्दी से बढ़ा रहे है।
प्लाइ-पैनल प्रोडक्ट्स का निर्यात जो अब तक अमरीका, यूएई और भुतान जैसे देशो में है उसका विस्तार करना होगा, सिर्फ देश का बाजार वर्तमान हालात में विस्तरती प्लाइ-इंडस्ट्री के लिए आधारस्तंभ नहीं बन शकते।
विकास की राह में गतिरोध का यह सवाल प्लाइ-पैनल लेमिनेट्स से जुडी करीब 4000 उत्पाद युनिटो का और इससे सीधे जुड़े साडे तीन से चार लाख परिवारों का है।