Thursday, November 21, 2024
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संपादकिय – हमारे त्यौहार और हमारी अर्थव्यवस्था

त्योहारोका मौसम चल रहा है।  त्योहार हमारी जीवनशैली, आस्था और आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने का, उसमें तेजी लाने का अवसर होता है। त्यौहार को भारतीय संस्कृति में सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक व्यवस्था के लिए शुभ अवसर के रूप में देखा जाता है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलता है। त्योहारों के खंडकाल में रोजगार, व्यापार और पारस्परिक संबंध बढ़ाने के अवसर प्राप्त होते है खुदरा से लेकर थोक व्यापार और उत्पाद में वृद्धि होती है। पर्यटन, परिवहन सहित हर क्षेत्र के व्यापार में वृद्धि के साथ उत्साह और चेतना का संचार होता है। भारतीय संस्कृति, समाजव्यवस्था और अर्थव्यवस्था में सदियों से ऋषि, कृषि और श्रमिक को महत्व दिया गया है, इन तीनो का महत्व हमें त्यौहार के कार्यकाल में समझने और देखने को मिलता है। अच्छे मॉनसून और बाजार में मांगने वृद्धि से हमारी अर्थव्यवस्था में ऊर्जा और उत्साह का संचार देखने को मिलता है, किसान, श्रमिक और आम जनता की खरीद शक्ति त्यौहार में जब बढ़ती दिखने लगती है तो देश का माहौल एक प्रसन्नचित्त वातावरण में बदल जाता है। चूंकि भारत में त्यौहार और संस्कृति से जुडी अर्थव्यवस्था का सुचारु आकलन तो नहीं हुआ है लेकिन इसकी गहरी असर अर्थव्यवस्था में देखने को मिलती है।

हर नागरिक अपनी आय, बचत और उपलब्ध आर्थिक व्यवस्था का उपयोग करके त्यौहार को आनंद-उत्साह से मानना चाहता है, कुछ हद तक अपनी समस्याओं को भी इस समय में भूल जाते है।

कुछ साल से हम देख रहे है कि वैश्विक स्तर के साथ साथ देश में भी संगठित क्षेत्र या कॉर्पोरेट सेक्टर के हाथ में व्यापार-उद्योग की कमान सरकाती जा रही है, छोटे व्यापारी-उद्यमी को धंधा चलाने में या जमाने में तकलीफे सहन करनी पड रही है, खासकर 2016-17 के बाद ऐसी परिस्थिति का निर्माण मजबूती प्राप्त कर रहा हैं कई छोटी और मध्यम स्तर की उत्पादक और वितरक कंपनी या खुदरा व्यापारी ऐसी परिस्थित में अपनी आर्थिक और संचालन प्रक्रिया संभालने में कमजोरी या मजबूरी महसूस कर रहे है।  पूरा विश्व इस हालात से गुजर रहा है तब हमारी अर्थव्यवस्था, जो अभी तक अच्छे संकेतो, आशा और संतोष के साथ आगे बढ़ रही है उसे संभालने के, और विकास की और आगे ले जाने के प्रयास निरंतर जारी रखने है।

वुड इंडस्ट्री और उससे जुड़े अन्य उद्योग-व्यवस्था में पिछले तीन साल से कुछ समस्याएँ देखने को मिल रही है, खासकर असंगठित क्षेत्र की कंपनियाँ, जो घटती किंमतें, बढ़ते उत्पादन, खर्च और डिमान्ड के मुकाबले ज्यादा सप्लाय की स्थिति में अपने दीपावली के त्यौहार में अच्छे भविष्य की आशा और उम्मीदे जगाये बैठे है।

सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य के साथ आपका हर दिन शुभमय हो यही प्रार्थना के साथ…

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