वर्तमान जीवन में यह शब्द सामान्य होता जा रहा है,थकान तो ठीक है लेकिन ब्रेक अप ?!! साथ निभाये रखने की कोई उम्मीद न हो, और रास्ते बंद होते जा रहे हो तो ब्रेक अप अंतिम स्थान – ब्रेक अप पर आकर रिस्ते तूट जाते है या तोड़ लिये जाते है। विषय आम जिंदगी से जुड़े हो या व्यापार-धंधे का, शब्द तो यह कहीं भी फीट बैठता है।
जैसे जीवन में उतार-चढ़ाव आते है वैसे व्यापार धंधे में भी आते है। निरंतर सफलता या दीर्धकालीन सफलता आदमी का सौभाग्य होता है। सफलता, निरंतर प्रयास, आत्मविश्वास और जोश के साथ लक्ष्य को पाने की दौड़ होती है, लेकिन जब अपने प्रयासों में बार बार समस्याएँ, रुकावटे और असमर्थता लंबी परछाई की तरह उसके भविष्य को घेरने लगती है तो आदमी को (व्यवसायी को) थकान लगती है, वह धीरे धीरे आत्मविश्वास खोने लगता है और एक एक लंबा ठहराव आ जाता है। आगे बढ़ने की उम्मीद इन्सान खो देता है, इस हालत में उसे क्या करना चाहिये ? ब्रेक अप लेना चाहिये ?
थकान और ब्रेक अप एक दूसरे के पर्याय नहीं है लेकिन अंतिम बिंदु पर दोनों बैठे है – एक दूसरे को देखते हुए !
व्यापार – उद्योग में हमने देखा है कि कई कंपनियां चलने में असमर्थ होने के कारन, समस्याओं से हैरान-परेशान होकर सालो तक बिच रास्ते में रुके हुए है, पीछे हटने का रास्ता पसंद करने का या उस धंधे से ब्रेक अप लेना पसंद करते है या न तो आगे बढ़ शकते है, एक लंबा ठहराव आ जाता है, जहाँ है वहाँ ही हताशा में हाँफते हुए खड़े रह गये है। 45 साल व्यापार-उद्योग से जुड़े रहने के अनुभव के बाद,देखा है कि (वुड इंडस्ट्री का ही उदाहरण दे रहा हूँ) कई कंपनियां बंद जैसी हालत में, बचने की जूठी या थोड़ी आशा में खडी रही है, जीसे हम कह शकते है कि मरने के दोष में जी रही है।
समस्या, रूकावटें और शक्ति का व्यय थकान के कारन होते है लेकिन जब इन्सान अपना आपा, विश्वास और लक्ष्य पाने की ज़िद खो देता है, तथा परिस्थिति और बदलाव को समझने में असमर्थता महसूस करता है तब ठहराव आ जाता है। अगर आप हर तरफ से घीरे हो और कोई रास्ता नजर न आता हो तो आप उस स्पर्धा से हट जाव, बाहर निकल जाव, रास्ता बदल दो, उससे ब्रेक अप ले लो, यही आप का अंतिम निर्णय होना चाहिये। लंबा या हमेशा का ठहराव ठहरे हुए पानी जैसा है। रुका हुआ पानी नाला या तालाब जैसा है जब की निरंतर बहता नदी जैसा है जो समंदर में जाकर मिलता है।
दिशा भटका हुआ या आत्म विश्वास और जोश खोकर हार पे ही अटका हुआ खिलाडी स्पर्धा में कभी नहीं टिक शकता, उसे दूसरा रास्ता ढूंढ लेना चाहिए, यहीं स्पर्धा के लिए उचित है। ऐसा नहीं कि कुछ हार से आप जीत नहीं शकते लेकिन जब थकानने आपका हौसला, विश्वास और स्पर्धा में टीके रहने की शक्ति ही छीन ली हो तो आपको वहाँ हटकर दूसरी स्पर्धा या दिशा पर ध्यान देना चाहिए, जहाँ आप अपनी शक्ति खर्च कर शके। परिस्थिति और बदलाव को पूरी तरह से समझने वाले और सक्रियता से आगे बढ़ने वाले सफल होते है।
सालो साल अपने व्यापार-उद्योग में कठिनाइयों का सामना करते हुए, अपने व्यापार को या नशीब को कोषते हुए (दोष देते हुए) कई व्यापारियों से अपनी किस्मत पर रोते हुए और कहते हुए सूने है कि “क्या करें, दूसरा कोई धंधा ही नहीं दिखता है” इन्हें कोई रास्ता नहीं मिलता। कहता हूँ इनके लिए ब्रेक अप ही अच्छा रास्ता है, नये उम्मीदकारो को अवकाश मिल शकता है।