ठंडी-गरमी के एहसास के साथ बजेट का महिना चल रहा रहा है। बजेट चर्चा से जितने मिडल क्लास, अपर क्लास और आर्थिक प्रवृत्ति के लोग जुड़े हुए होते है उतने लोअर क्लास के लोग जुड़े हुए नहीं होते है। बजेट की असर तो उनकी रोजाना जिंदगी पर भी होती है लेकिन उनको रोटी से मतलब है, टप टप से नहीं।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के केन्द्रीय बजेट की चर्चा संसद में पेश किया गया, जहाँ चर्चा होने के बाद मंजूर किया जायेगा।
ऐसे देखा जाये तो 20वीं शताब्दी से बजेट शब्द देश, राज्य या किसी भी प्रसाशनीय संस्था की आर्थिक स्थिति, आयोजन, अपेक्षाएँ, दिशानिर्देशन और अनुमानित भविष्य का निरुपण करता है, एक साल के लिए आय और खर्च का स्टेटमैंट पेश करता है। बजेट पेश करती सरकार या प्रस्तुतकर्ता चाहते है कि वह अपनी वित्तीय व्यवस्था और जवाबदेही बनाये रखने के साथ साथ लोगो की अपेक्षा और आशाओं पर भी खरा उतरे। वास्तवमें देखा जाये तो आर्थिक, राजकीय और सामाजिक पहलुएँ बजेट से जुड़े होते है।
2023 के बजेट से विरोध करने वालो को कोई ज्यादा मुद्दे नहीं मिले है और व्यापार उद्योग तथा आम लोगो को भी कुछ राहत मिली है । इंफ्रास्ट्रक्चर या रियल्टी सैक्टर देश की इकोनॉमी का दूसरा सबसे बड़ा सैक्टर है और इस क्षेत्र में वुड इंडस्ट्री का अहम रोल है, लाखो परिवार इस क्षेत्र से आर्थिक रुप से जुड़े हुए है और बजेट का सीधा असर इस क्षेत्र पर पड़ता है । मिडल क्लास के लोगों को आयकर टैक्स में जो राहते मिली उससे इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल्टी सैक्टर को फायदा होने की उम्मीद थी लेकिन होम लोन इन्टरेस्ट, कच्चे माल की किंमत एवं गुजरात में जंत्री की दर में वृद्धि ने आशाओं पर पानी फेर दिया है। कोरोनाकाल के बाद मुश्किल से खड़ा हुआ रियल्टी क्षेत्र तथा वुड इंडस्ट्री को कोई खास बुस्ट अप बजेट की तरफ से मिलेगा और नहीं उपभोक्ताओं को विशेष लाभ होगा।
धूप-छाँव या कभी ख़ुशी कभी गम के माहौल में वुड इंडस्ट्री को समस्याओं का हल अपने आप निकलना होगा। आम के शौकीनों आम के पेड़ पर लगे फूल पर आस लगाये बैठे है लेकिन अंदरोअंदर यह डर भी है कि कहीं बेमौसम या हवा के तूफान में कहीं यह आस तूट न जाये।
इंडस्ट्री के लिए यह बजेट एक साल में क्या असर दिखाता है इसका इंतजार करेंगे।
आज़ाद भारत का पहला बजेट 26 नवम्बर, 1947 में तत्कालिन वित्तमंत्री रामास्वामी कंडास्वामी सन्मुख ने पेश किया था जिसमें 171-15 करोड़ की आय के सामने 197-29 करोड के खर्च का प्रावधान दर्शाया गया था, मतलब की 26.24 करोड़ अनुमानित डेफिसिट बताई थी। 171.15 करोड़ की आय में से 92. 74 करोड़ की राशि रक्षा क्षेत्र के लिए प्रबंध की गई थी।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 मुताबिक केन्द्रीय बजेट अगले एक वित्तिय साल के लिए पेश करने का प्रावधान है जिसे एन्युअल फायनान्सियल स्टेटमेन्ट कहा जाता है।
बजेट शब्द प्राचीन फ्रेन्च शब्द bougett (Littlebag) पर से प्रचलित हुआ है। भारत में इसकी शुरुआत अंग्रेज सरकार द्वारा 1860 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन द्वारा हुई थी।
वर्तमान बजेट पर वुड इंडस्ट्री से जुड़े प्रमुख निवेषकों द्वारा अपनी प्रतिक्रिया आ रही है जिसे समय की कसौटी पर चढ़ाया जाना बाकी है लेकिन हम उम्मीद रखते है कि आनेवाले दिनों में वुड इंडस्ट्री के साथ साथ हमारा अर्थतंत्र पूरी मजबूती के साथ विश्व में अपना स्थान प्रस्थापित करके विश्व की सबसे तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था प्रति प्रयाग करेगा।